Tuesday 16 June 2020

सफलता पर शायरी /सक्सेस शायरी /kamyabi ki shayari hindi mai/प्रेरणादायक शायरी/हिंदी बेस्ट शायरी


INSPIRATIONAL SHAYARI ON SUCCESS IN HINDI

    NEW SHAYARI 

 

यूँ ही हर कदम पर मत लड़खड़ाओ           
Shayari on success,Congrats Shayari in hindi


कामयाबी पानी है तो संभल जाओ,
मत शोर करो अपने प्रयासों का
ख़ामोशी से अपनी जिंदगी बदल जाओ।
परेशानियों से भागना आसान होता है
हर मुश्किल ज़िन्दगी में एक इम्तिहान होता है
हिम्मत हारने वाले को कुछ नहीं मिलता ज़िंदगी में
और मुश्किलों से लड़ने वाले के क़दमों में ही तो जहाँ होता है
मत घबराना जिंदगी में परेशानियों की पतझड़ से
मेहनत की बसंत खुशियों की बहार जरूर लाएगी,
खून पसीने से सींचना अपनी कोशिशों को
इन कोशिशों के बल पर ही कामयाबी आएगी।
यूँ ही नहीं मिलता कोई मुकाम
उन्हें पाने के लिए चलना पड़ता हैं,
इतना आसान नहीं होता कामयाबी का मिलना
उसके लिए किस्मत से भी लड़ना पड़ता हैं।

SHAYARI KAMYABI KE LIYE – SUCCESS SHAYARI IN HINDI

ऊँचे ख्वाबों के लिए
दिल की गहराई से काम करना पड़ता है,
यूँ ही नहीं मिलती कामयाबी किसी को
मेहनत की आग में दिन रात जलना पड़ता है।
बेहतर से बेहतर कि तलाश करो
मिल जाये नदी तो समंदर कि तलाश करो
टूट जाता है शीशा पत्थर कि चोट से
टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो
ज़िंदगी कि असली उड़ान बाकी है
जिंदगी के कई इम्तेहान अभी बाकी है
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीन हमने
अभी तो सारा आसमान बाकी है
कैसा डर है जो दिन निकल गया
अभी तो पूरी रात बाकी है,
यूँ ही नहीं हिम्मत हार सकता मैं
अभी तो कामयाबी से मुलाकात बाकी है।

कामयाबी पर शायरी – SUCCESS SHAYARI 2 LINES

न भीड़ पसंद हो जिनको वो अक्सर तनहा चलते हैं
रौशन करने को किस्मत अपनी सूरज की तरह वो जलते हैं
कितनी भी कठिन हो राह मगर न कभी वो पीछे मुड़ते हैं
पा लेते हैं कामयाबी को जो वक़्त मुताबिक ढलते हैं।
दुआ है कि कामयाबी के हर शिखर पे आपका नाम होगा,
आपके हर कदम पर दुनिया का सलाम होगा,
हिम्मत से मुश्किलों का सामना करना,
हमारी दुआ है कि वक़्त भी आपका गुलाम होगा…
जिंदगी के सफर में कामयाब होना
जितना आसान हैं
उतना ही मुश्किल हैं
कहने का मतलब यहाँ कुछ भी मुफ्त नहीं हैं
मुझे जागते रहना है क्योंकि अपने सपनों को पाना है
अपनी काबिलियत का करिश्मा इस जग को दिखाना है,
कामयाबी तो हासिल कर ही लूँगा एक दिन
मुझे तो अपनी उँगलियों पर किस्मत को नचाना है।

BADHAI SHAYARI ON SUCCESS IN HINDI

जिंदगी जीने का तरीका उन्हीं लोगों को आया है
जिन्होंने अपनी जिंदगी में हर जगह धक्का खाया है,
जमाया है सर्द रातों में खुद को तपती धुप में खुद को तपाया है
वही हुए हैं कामयाब जिंदगी में, उन्होंने ने ही इतिहास रचाया है।
तू रख हौसला वो मंजर भी आएगा
प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा
थक हार के ना रुकना ऐ मंजिल के मुसाफिर
मंज़िल भी मिलेगी मिलने का मज़ा भी आएगा
चलता रहूँगा पथ पर,
चलने में माहिर बन जाऊंगा !!
या तो मंजिल मिल जाएगी,
या
अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊंगा !!
वही है जिन्दा, जिसकी आस जिन्दा है,
वही है जिन्दा, जिसकी प्यास जिन्दा है,
श्वास लेने का नाम ही जिंदगी नहीं,
जिन्दा वही है, जिसका विश्वास जिन्दा है!!

SUCCESS MOTIVATIONAL SHAYARI IN HINDI

हैं दुआ मेरी खुदा से
के कामयाब करे तुझे हर तरीके से
दूर रखे हर मुश्किल से
और तू हर पल खुश रहे दिल से
ज़िन्दगी हसीं है ज़िन्दगी से प्यार करो
हो रात तो सुबह का इंतज़ार करो
वो पल भी आएगा जिस पल का इंतज़ार है आपको
बस खुदा पे भरोसा और वक़्त पे ऐतबार करो
हौंसला मत हार,
गिरकर ऐ मुसाफिर!,
अगर दर्द यहाँ मिला है,
तो दवा भी यहीं मिलेगी!!
मंज़िलें नहीं रास्ते बदलते है
जगा लो जज्बा जीतने का
किस्मत कि लकीरें चाहे बदले न बदले
वक़्त जरूर बदलता है
जो मुस्कुरा रहा है, उसे दर्द ने पाला होगा,
जो चल रहा है उसके पाँव में ज़रूर छाला होगा,
बिना संघर्ष के चमक नहीं मिलती,
जो जल रहा है तिल-तिल, उसी दीए में उजाला होगा…


बिना कहे भी जानती है मेरी जिह्वा
कि उसकी पीठ पर भूली हुई चोटों के
कितने निशान हैं
कि आती नहीं नींद उसकी कई क्रियाओं को
रात-रात भर
दुखते हैं अक्सर कई विशेषण।
कि राज नहीं-भाषा
भाषा-भाषा सिर्फ भाषा रहने दो मेरी भाषा को
अरबी-तुर्की बांग्‍ला तेलुगू
यहां तक कि एक पत्‍ती के हिलने की आवाज भी
मैं सब बोलता हूं जरा-जरा
जब बोलता हूं हिन्‍दी.
जड़ों की डगमग खड़ाऊं पहने
वह सामने खड़ा था
सिवान का प्रहरी
जैसे मुक्तिबोध का ब्रह्मराक्षस-
एक सूखता हुआ लंबा झरनाठ वृक्ष
जिसके शीर्ष पर हिल रहे
तीन-चार पत्ते
कितना भव्य था
एक सूखते हुए वृक्ष की फुनगी पर
महज तीन-चार पत्तों का हिलना
उस विकट सुखाड़ में
सृष्टि पर पहरा दे रहे थे
तीन-चार पत्ते
हिंदी मेरा देश है
भोजपुरी मेरा घर
….मैं दोनों को प्यार करता हूं
और देखिए न मेरी मुश्किल
पिछले साठ बरसों से
दोनों को दोनों में
खोज रहा हूं।
लोकतन्‍त्र के जन्‍म से बहुत पहले का
एक जिन्‍दा ध्‍वनि-लोकतन्‍त्र है यह
जिसके एक छोटे से ‘हम ’ में
तुम सुन सकते हो करोडों
‘मैं ’ की घडकनें
किताबें .
जरा देर से आईं..
इसलिए खो भी जाएं
तो डर नहीं इसे
क्‍योंकि जबान –
इसकी सबसे बडी लाइब्रेरी है आज भी
कभी आना मेरे घर
तुम्हें सुनाऊंगा
मेरे झरोखे पर रखा शंख है यह
जिसमें धीमे-धीमे बजते हैं
सातों समुद्र.                         
सफलता के लिए शायरी , कामयाबी पर पंक्तियाँ

केदारनाथ सिंह KI KAVITA

मैंने सुना-
तौलिया गमछे से कह रहा था
तू हिंदी में सूखरहा है
सूख
मैं अंग्रेज़ी में कुछ देर
झपकी ले लेता हूं।
दुनिया के तमाम शहरों से
खदेड़ी हुई जिप्सी है वह
तुम्हारे शहर की धूल में
अपना खोया हुआ नाम और पता खोजती हुई
आदमी के जनतंत्र में
घास के सवाल पर
होनी चाहिए लंबी एक अखंड बहस
पर जब तक वह न हो
शुरुआत के तौर पर मैं घोषित करता हूं
कि अगले चुनाव में
मैं घास के पक्ष में
मतदान करूंगा
कोई चुने या न चुने
एक छोटी सी पत्ती का बैनर उठाए हुए
वह तो हमेशा मैदान में है।
कभी भी…
कहीं से भी उग आने की
एक जिद है वह.

KEDARNATH SINGH POEMS IN HINDI

आज घर में घुसा
तो वहाँ अजब दृश्य था
सुनिए — मेरे बिस्तर ने कहा —
यह रहा मेरा इस्तीफ़ा
मैं अपने कपास के भीतर
वापस जाना चाहता हूँ
उधर कुर्सी और मेज़ का
एक सँयुक्त मोर्चा था
दोनों तड़पकर बोले —
जी, अब बहुत हो चुका
आपको सहते-सहते
हमें बेतरह याद आ रहे हैं
हमारे पेड़
और उनके भीतर का वह
ज़िन्दा द्रव
जिसकी हत्या कर दी है
आपने
उधर आलमारी में बन्द
क़िताबें चिल्ला रही थीं
खोल दो, हमें खोल दो
हम जाना चाहती हैं अपने
बाँस के जंगल
और मिलना चाहती हैं
अपने बिच्छुओं के डंक
और साँपों के चुम्बन से
पर सबसे अधिक नाराज़ थी
वह शॉल
जिसे अभी कुछ दिन पहले कुल्लू से ख़रीद लाया था
बोली — साहब!
आप तो बड़े साहब निकले
मेरा दुम्बा भेड़ा मुझे कब से
पुकार रहा है
और आप हैं कि अपनी देह
की क़ैद में
लपेटे हुए हैं मुझे
उधर टी० वी० और फ़ोन का
बुरा हाल था
ज़ोर-ज़ोर से कुछ कह रहे थे
वे
पर उनकी भाषा
मेरी समझ से परे थी
कि तभी
नल से टपकता पानी तड़पा —
अब तो हद हो गई साहब!
अगर सुन सकें तो सुन
लीजिए
इन बूँदों की आवाज़ —
कि अब हम
यानी आपके सारे के सारे
क़ैदी
आदमी की जेल से
मुक्त होना चाहते हैं
अब जा कहाँ रहे हैं —
मेरा दरवाज़ा कड़का
जब मैं बाहर निकल रहा था।
अगर इस बस्ती से गुज़रो
तो जो बैठे हों चुप
उन्हें सुनने की कोशिश करना
उन्हें घटना याद है
पर वे बोलना भूल गए हैं।
पर्वतों में मैं
अपने गाँव का टीला हूँ
पक्षियों में कबूतर
भाखा में पूरबी
दिशाओं में उत्तर
वृक्षों में बबूल हूँ
अपने समय के बजट में
एक दुखती हुई भूल
नदियों में चंबल हूँ
सर्दियों में
एक बुढ़िया का कंबल
इस समय यहाँ हूँ
पर ठीक समय
बगदाद में जिस दिल को
चीर गई गोली
वहाँ भी हूँ
हर गिरा खून
अपने अंगोछे से पोंछता
मैं वही पुरबिहा हूँ
जहां भी हूँ।

KEDARNATH SINGH POETRY

जब ट्रेन चढ़ता हूँ
तो विज्ञान को धन्यवाद देता हूँ
वैज्ञानिक को भी
जब उतरता हूँ वायुयान से
तो ढेरों धन्यवाद देता हूँ विज्ञान को
और थोड़ा सा ईश्वर को भी
पर जब बिस्तर पर जाता हूँ
और रोशनी में नहीं आती नींद
तो बत्ती बुझाता हूँ
और सो जाता हूँ
विज्ञान के अंधेरे में
अच्छी नींद आती है।
आम की सोर पर
मत करना वार
नहीं तो महुआ रात भर
रोएगा जंगल में
कच्चा बांस कभी काटना मत
नहीं तो सारी बांसुरियाँ
हो जाएंगी बेसुरी
कल जो मिला था राह में
हैरान-परेशान
उसकी पूछती हुई आँखें
भूलना मत
नहीं तो सांझ का तारा
भटक जाएगा रास्ता
किसी को प्यार करना
तो चाहे चले जाना सात समुंदर पार
पर भूलना मत
कि तुम्हारी देह ने एक देह का
नमक खाया है।

केदारनाथ सिंह की कविता बादल ओ – केदारनाथ सिंह की कविता ON BADAL O

जाऊंगा कहाँ
रहूँगा यहीं
किसी किवाड़ पर
हाथ के निशान की तरह
पड़ा रहूँगा
किसी पुराने ताखे
या सन्दूक की गंध में
छिपा रहूँगा मैं
दबा रहूँगा किसी रजिस्टर में
अपने स्थायी पते के
अक्षरों के नीचे
या बन सका
तो ऊंची ढलानों पर
नमक ढोते खच्चरों की
घंटी बन जाऊंगा
या फिर माँझी के पुल की
कोई कील
जाऊंगा कहाँ
देखना
रहेगा सब जस का तस
सिर्फ मेरी दिनचर्या बादल जाएगी
साँझ को जब लौटेंगे पक्षी
लौट आऊँगा मैं भी
सुबह जब उड़ेंगे
उड़ जाऊंगा उनके संग…

धन्यवाद 


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